भारत के लौह पुरुष और देश के पहले उप-प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की आज 71वीं पुण्यतिथि है। उनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के खेड़ा में हुआ था। उन्होंने अपनी आखिरी सांस 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में ली।
देश की आजादी में सरदार पटेल का जितना योगदान था, उससे कहीं ज्यादा योगदान उन्होंने आजाद भारत को एक करने में दिया। 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ, तब देश में छोटी-बड़ी 562 रियासतें थीं। इनमें से कई रियासतों ने तो आजाद रहने का ही फैसला कर लिया था, लेकिन सरदार पटेल ने इन सबको देश में मिलाया।
आजादी के बाद जब हैदराबाद और जूनागढ़ ने भारत में मिलने से मना कर दिया। इसके पीछे पाकिस्तान और मोहम्मद अली जिन्ना की चाल थी, लेकिन हैदराबाद में सरदार पटेल ने सेना भेजकर वहां के निजाम का आत्मसमर्पण करवा लिया। वहीं, जूनागढ़ में जनता के विद्रोह से घबराकर वहां का नवाब भागकर पाकिस्तान चला गया। इसी तरह भोपाल के नवाब हमीदुल्ला खान ने भी शर्त रख दी कि वो या तो आजाद रहेंगे या पाकिस्तान में मिल जाएंगे। इसके बाद सरदार पटेल की वजह से ही भोपाल के नवाब ने हार मान ली। 1 जून 1949 को भोपाल भारत का हिस्सा बन गया।
15 दिसंबर, 1950 की सुबह तीन बजे पटेल को दिल का दौरा पड़ा और वो बेहोश हो गए। चार घंटों बाद उन्हें थोड़ा होश आया। उन्होंने पानी मांगा। मणिबेन ने उन्हें गंगा जल में शहद मिलाकर चम्मच से पिलाया। रात 9 बजकर 37 मिनट पर सरदार पटेल ने आखिरी सांस ली।
1832: एफिल टॉवर बनाने वाले आर्किटेक्ट का जन्म
फ्रांस की राजधानी पेरिस के शौं-दे-मार्स में 26 जनवरी 1887 को एफिल टॉवर की नींव रखी गई। एफिल टॉवर बनने में दो साल का वक्त लगा था। 324 मीटर ऊंचे एफिल टॉवर को आर्किटेक्ट गुस्ताव एफिल ने बनवाया था। आज ही के दिन 1832 में उनका जन्म हुआ था। शुरुआत में एफिल टॉवर को 20 साल के लिए ही बनाया गया था। यानी 1909 में इसे गिराया जाना था, लेकिन इसकी लोकप्रियता बढ़ते देख इसे गिराने का फैसला रद्द कर दिया गया। इसे बनाने में 7 हजार 300 टन लोहे का इस्तेमाल हुआ था। इसलिए इसे ‘आयरन लेडी’ भी कहा जाता है। एफिल टॉवर जब बनकर तैयार हुआ था, उस वक्त ये दुनिया की सबसे ऊंची इमारत थी।
15 दिसंबर के दिन को और किन-किन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से याद किया जाता है…
2001 : पीसा की झुकी मीनार को 10 वर्ष बाद फिर से खोला गया। इस इमारत के ढांचे को ठीक और मजबूत करने के लिए इसे बंद कर दिया गया था।
1997 : अरुंधति रॉय ने ‘बुकर पुरस्कार’ जीता। उन्हें उनके उपन्यास ‘द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ के लिए ब्रिटेन के इस सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार के लिए चुना गया।
1997 : जैनेट रोसेनबर्ग जैगन गुयाना की राष्ट्रपति चुनी गईं। वे देश की पहली निर्वाचित महिला राष्ट्रपति होने के साथ ही गुयाना की पहली श्वेत राष्ट्रपति थीं।